Rana Amir Liyaqat's Photo'

राना आमिर लियाक़त

राना आमिर लियाक़त

ग़ज़ल 18

अशआर 26

अगरचे रोज़ मिरा सब्र आज़माता है

मगर ये दरिया मुझे तैरना सिखाता है

हर साँस नई साँस है हर दिन है मिरा दिन

तक़दीर लिए आती है हर रोज़ नया दिन

  • शेयर कीजिए

मैं जानता हूँ मोहब्बत में क्या नहीं करना

ये वो जगह है जहाँ क़ैस भी फिसलता है

  • शेयर कीजिए

कई तरह के तहाइफ़ पसंद हैं उस को

मगर जो काम यहाँ फूल से निकलता है

  • शेयर कीजिए

आओ आँखें मिला के देखते हैं

कौन कितना उदास रहता है

  • शेयर कीजिए

क़ितआ 1

 

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए