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Ranjoor Azimabadi's Photo'

रंजूर अज़ीमाबादी

1863 - 1923 | कोलकाता, भारत

उर्दू शायरी में अज़ीमाबाद की ख़ास पहचान स्थापित करने वालों में एक अहम नाम। 'शम्सुल उलेमा' एवं 'ख़ान बहादुर' की उपाधियों से सम्मानित

उर्दू शायरी में अज़ीमाबाद की ख़ास पहचान स्थापित करने वालों में एक अहम नाम। 'शम्सुल उलेमा' एवं 'ख़ान बहादुर' की उपाधियों से सम्मानित

रंजूर अज़ीमाबादी

ग़ज़ल 5

 

अशआर 6

अगर चिलमन के बाहर वो बुत-ए-काफ़िर-अदा निकले

ज़बान-ए-शैख़ से सल्ले-अला सल्ले-अला निकले

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देता है मुझ को चर्ख़-ए-कुहन बार बार दाग़

उफ़ एक मेरा सीना है उस पर हज़ार दाग़

दिखा कर ज़हर की शीशी कहा 'रंजूर' से उस ने

अजब क्या तेरी बीमारी की ये हकमी दवा निकले

मुझ को काफ़ी है बस इक तेरा मुआफ़िक़ होना

सारी दुनिया भी मुख़ालिफ़ हो तो क्या होता है

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होता है साफ़ रू-ए-किताबी से ये अयाँ

काफ़िर है गो वो बुत मगर अहल-ए-किताब है

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हास्य शायरी 3

 

पुस्तकें 1

 

ऑडियो 4

जनाज़ा धूम से उस आशिक़-ए-जाँ-बाज़ का निकले

देता है मुझ को चर्ख़-ए-कुहन बार बार दाग़

मैं और हम-आग़ोश हूँ उस रश्क-ए-परी से

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