रशीद रामपुरी
ग़ज़ल 25
अशआर 1
उठ कर तिरे दर से कहीं जाने के नहीं हम
मोहताज किसी और ठिकाने के नहीं हम
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere