राशिद काकूरी के शेर
तुम्हारे होंटों पे काँपती है हमारे कानों में गूँजती है
जो बात तुम ने कही नहीं है जो बात हम ने सुनी नहीं है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere