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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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रतन नाथ सरशार

1846 - 1903 | लखनऊ, भारत

अनुवादक, कथाकार और शायर, अपनी किताब फ़साना-ए-आज़ाद के लिए मशहूर

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