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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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रौनक़ टोंकवी

1819 - 1890

रौनक़ टोंकवी के शेर

उड़ जाऊँगा बहार में मानिंद-ए-बू-ए-गुल

ज़ंजीर मेरे पा-ए-जुनूँ में हज़ार डाल

आज क़ातिल का गले पर मिरे ख़ंजर चमका

लिल्लाहिल-हम्द कि मेरा भी मुक़द्दर चमका

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