रज़ा अज़ीमाबादी
ग़ज़ल 38
अशआर 25
सब कुछ पढ़ाया हम को मुदर्रिस ने इश्क़ के
मिलता है जिस से यार न ऐसी पढ़ाई बात
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere