एस. एच. बिहारी के शेर
ऐसी तो न थी क़िस्मत अपना भी कोई होता
क्यूँ ख़ुद को मोहब्बत का हक़दार समझ बैठे
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न जाने क्यूँ हमारे दिल को तुम ने दिल नहीं समझा
ये शीशा तोड़ डाला प्यार के क़ाबिल नहीं समझा
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