Sada Ambalvi's Photo'

सदा अम्बालवी

1951 | अमबाला, भारत

राजेंद्र सिंह/लोकप्रिय शायर/अपनी गज़ल 'वो तो ख़ुश्बू है हर इक सम्त बिखरना है उसे' के लिए मशहूर जिसे गाया गया है

राजेंद्र सिंह/लोकप्रिय शायर/अपनी गज़ल 'वो तो ख़ुश्बू है हर इक सम्त बिखरना है उसे' के लिए मशहूर जिसे गाया गया है

सदा अम्बालवी

ग़ज़ल 15

अशआर 23

बड़ा घाटे का सौदा है 'सदा' ये साँस लेना भी

बढ़े है उम्र ज्यूँ-ज्यूँ ज़िंदगी कम होती जाती है

वक़्त हर ज़ख़्म का मरहम तो नहीं बन सकता

दर्द कुछ होते हैं ता-उम्र रुलाने वाले

अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बाँ थी प्यारे

अब सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से

बुझ गई शम्अ की लौ तेरे दुपट्टे से तो क्या

अपनी मुस्कान से महफ़िल को मुनव्वर कर दे

अब कहाँ दोस्त मिलें साथ निभाने वाले

सब ने सीखे हैं अब आदाब ज़माने वाले

पुस्तकें 1

 

वीडियो 7

This video is playing from YouTube

वीडियो का सेक्शन
अन्य वीडियो
अब कहाँ दोस्त मिलें साथ निभाने वाले

गुलाम अब्बास खान

अब कहाँ दोस्त मिलें साथ निभाने वाले

सदा अम्बालवी

चलो कि हम भी ज़माने के साथ चलते हैं

गुलाम अब्बास खान

चलो कि हम भी ज़माने के साथ चलते हैं

सदा अम्बालवी

यूँ तो इक उम्र साथ साथ हुई

राधिका चोपड़ा

यूँ तो इक उम्र साथ साथ हुई

गुलाम अब्बास खान

यूँ तो इक उम्र साथ साथ हुई

सदा अम्बालवी

वो तो ख़ुश्बू है हर इक सम्त बिखरना है उसे

राधिका चोपड़ा

वो तो ख़ुश्बू है हर इक सम्त बिखरना है उसे

सदा अम्बालवी

वो तो ख़ुश्बू है हर इक सम्त बिखरना है उसे

सुरेश वाडेकर

वो तो ख़ुश्बू है हर इक सम्त बिखरना है उसे

गुलाम अब्बास खान

वो तो ख़ुश्बू है हर इक सम्त बिखरना है उसे

सदा अम्बालवी

"अमबाला" के और शायर

 

Recitation

aah ko chahiye ek umr asar hote tak SHAMSUR RAHMAN FARUQI

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए