सईद क़ैस के शेर
चाँद मशरिक़ से निकलता नहीं देखा मैं ने
तुझ को देखा है तो तुझ सा नहीं देखा मैं ने
मैं भी अपनी ज़ात में आबाद हूँ
मेरे अंदर भी क़बीले हैं बहुत
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ये वाक़िआ' मिरी आँखों के सामने का है
शराब नाच रही थी गिलास बैठे रहे
-
टैग : नशा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तुम अपने दरिया का रोना रोने आ जाते हो
हम तो अपने सात समुंदर पीछे छोड़ आए हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तुम से मिलने का बहाना तक नहीं
और बिछड़ जाने के हीले हैं बहुत
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
चेहरा चेहरा ग़म है अपने मंज़र में
और आँखों के पीछे एक नुमाइश है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तलब के रास्ते पर आ गया हूँ
बताओ अब मुझे जाना कहाँ है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अपनी आवाज़ सुनाई नहीं देती मुझ को
एक सन्नाटा कि गलियों में बहुत बोलता है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
उसी के लुत्फ़ से बस्ती निहाल है सारी
तमाम पेड़ लगाए हुए उसी के हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड