सईद राही
ग़ज़ल 12
अशआर 6
दोस्त बन बन के मिले मुझ को मिटाने वाले
मैं ने देखे हैं कई रंग ज़माने वाले
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तुम नहीं ग़म नहीं शराब नहीं
ऐसी तंहाई का जवाब नहीं
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गाहे गाहे इसे पढ़ा कीजिए
दिल से बेहतर कोई किताब नहीं
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रुस्वाई तो वैसे भी तक़दीर है आशिक़ की
ज़िल्लत भी मिली हम को उल्फ़त के फ़साने से
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मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
दीवारों से सर टकराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
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