मूल नाम : मोहम्मद अजमल सईद
जन्म : 03 Jun 1993 | इस्लामाबाद
मोहम्मद अजमल सईद, जिनका क़लमी नाम सईद शारिक़ है, 3 जून 1993 को इस्लामाबाद में पैदा हुए। इब्तिदाई तौर पर इंजीनियरिंग के मैदान में बी. एस. इंजीनियरिंग टेकनोलाॅजी (मैकेनिकल) की डिग्री हासिल की, लेकिन उनकी अस्ल दिलचस्पी उर्दू अदब में थी। इस शौक़ ने उन्हें एम. ए. (उर्दू), एम. फ़िल. (उर्दू) और पी. एच. डी. (उर्दू) की तरफ़ राग़िब किया।
सईद शारिक़ पेशे के एतिबार से उर्दू के लेक्चरर हैं और वफ़ाक़ी निज़ामत तालीमात-ए-इस्लामाबाद से वाबस्ता हैं। उन्होंने 2011 में शेरी सफ़र का आग़ाज़ किया और अपनी तख़लीक़ी सलाहियतों से अदबी हलक़ों में जल्द ही नुमायाँ मक़ाम हासिल किया। उनके दो शेरी मजमुए, “साया” 2017 और “कोह-ए-मलाल” 2024, उनके फ़न का मज़हर हैं।
अदब के मैदान में उनकी ख़िदमात को मुख़्तलिफ़ एवार्ड्ज़ के ज़रिए सराहा गया, जिनमें अक्स-ए-ख़ुशबू परवीन शाकिर अदबी एवार्ड, बाबा गुरु नानक जी अदबी एवार्ड, हरावल बेहतरीन ग़ज़लगो एवार्ड, और मंजूम एवार्ड (दोम) बराए-नात शामिल हैं। सईद शारिक़ उर्दू अदब के फ़रोग़ में अहम किरदार अदा कर रहे हैं और उनकी शायरी गहरे जज़्बात और फ़िक्री वुसअत की आईनादार है।