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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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साग़र निज़ामी

1905 - 1984 | दिल्ली, भारत

प्रमुख लोकप्रिय शायर, देश भक्ति की नज़मों के लिए मशहूर / पदम भूषन से सम्मानित

प्रमुख लोकप्रिय शायर, देश भक्ति की नज़मों के लिए मशहूर / पदम भूषन से सम्मानित

साग़र निज़ामी

ग़ज़ल 16

नज़्म 5

 

अशआर 17

आँख तुम्हारी मस्त भी है और मस्ती का पैमाना भी

एक छलकते साग़र में मय भी है और मय-ख़ाना भी

काफ़िर गेसू वालों की रात बसर यूँ होती है

हुस्न हिफ़ाज़त करता है और जवानी सोती है

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गुल अपने ग़ुंचे अपने गुल्सिताँ अपना बहार अपनी

गवारा क्यूँ चमन में रह के ज़ुल्म-ए-बाग़बाँ कर लें

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दिल की बर्बादियों का रोना क्या

ऐसे कितने ही वाक़िआ'त हुए

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वो मिरी ख़ाक-नशीनी के मज़े क्या जाने

जो मिरी तरह तिरी राह में बर्बाद नहीं

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गीत 1

 

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