सहर भोपाली के शेर
बाँध के सफ़ हों सब खड़े तेग़ के साथ सर झुके
आज तो क़त्ल-गाह में धूम से हो नमाज़-ए-इश्क़
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere