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सलीम अहमद

1927 - 1983 | कराची, पाकिस्तान

पाकिस्तान के प्रमुखतम आलोचकों में विख्यात/ऐंटी-गज़ल रूझान और आधुनिकता-विरोधी विचारों के लिए प्रसिद्ध

पाकिस्तान के प्रमुखतम आलोचकों में विख्यात/ऐंटी-गज़ल रूझान और आधुनिकता-विरोधी विचारों के लिए प्रसिद्ध

सलीम अहमद के ऑडियो

ग़ज़ल

कोई सितारा-ए-गिर्दाब आश्ना था मैं

नोमान शौक़

जाने किसी ने क्या कहा तेज़ हवा के शोर में

नोमान शौक़

ज़िंदगी मौत के पहलू में भली लगती है

नोमान शौक़

जो आँखों के तक़ाज़े हैं वो नज़्ज़ारे बनाता हूँ

नोमान शौक़

जो दिल में हैं दाग़ जल रहे हैं

नोमान शौक़

दुख दे या रुस्वाई दे

नोमान शौक़

देखने के लिए इक शर्त है मंज़र होना

नोमान शौक़

दिल के अंदर दर्द आँखों में नमी बन जाइए

नोमान शौक़

न जाने शेर में किस दर्द का हवाला था

नोमान शौक़

बैठे हैं सुनहरी कश्ती में और सामने नीला पानी है

नोमान शौक़

बन के दुनिया का तमाशा मो'तबर हो जाएँगे

नोमान शौक़

मैं सर छुपाऊँ कहाँ साया-ए-नज़र के बग़ैर

सलीम अहमद

मुझे इन आते जाते मौसमों से डर नहीं लगता

नोमान शौक़

मिला जो काम ग़म-ए-मो'तबर बनाने का

नोमान शौक़

लम्हा-ए-रफ़्ता का दिल में ज़ख़्म सा बन जाएगा

नोमान शौक़

वो मिरे दिल की रौशनी वो मिरे दाग़ ले गई

नोमान शौक़

मैं उस को भूल गया था वो याद सा आया

जावेद सबा

नज़्म

मशरिक़ हार गया

सलीम अहमद

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