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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Salman Khayal's Photo'

सलमान ख़याल

1983 | लखनऊ, भारत

सलमान ख़याल के शेर

जब से इस दश्त में आया हूँ इसी सोच में हूँ

कि बयाबान में क्या सोच कर आता है कोई

ये दिल-फ़रेब चराग़ाँ ये क़हक़हों के हुजूम

मैं डर रहा हूँ अब इस शहर से गुज़रते हुए

ये आसमान है बेहतर कि आशियाँ मेरा

परिंद सोच रहा है उड़ान भरते हुए

ज़रा संभलों तुम्हारी वहशतों के ज़िक्र 'सलमान'

जहाँ होने नहीं थे अब वहाँ भी हो रहे हैं

गुज़ारी उम्र हम ने आबियारी में किसी की

वो अपना एक कार-ए-बे-समर था और हम थे

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