Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Salman Khayal's Photo'

सलमान ख़याल

1983 | लखनऊ, भारत

सलमान ख़याल

ग़ज़ल 5

 

अशआर 5

गुज़ारी उम्र हम ने आबियारी में किसी की

वो अपना एक कार-ए-बे-समर था और हम थे

जब से इस दश्त में आया हूँ इसी सोच में हूँ

कि बयाबान में क्या सोच कर आता है कोई

ज़रा संभलों तुम्हारी वहशतों के ज़िक्र 'सलमान'

जहाँ होने नहीं थे अब वहाँ भी हो रहे हैं

ये आसमान है बेहतर कि आशियाँ मेरा

परिंद सोच रहा है उड़ान भरते हुए

ये दिल-फ़रेब चराग़ाँ ये क़हक़हों के हुजूम

मैं डर रहा हूँ अब इस शहर से गुज़रते हुए

"लखनऊ" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए