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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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सरशार सैलानी

1914 - 1969

सरशार सैलानी

ग़ज़ल 1

 

अशआर 1

चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है

हम ही हम हैं तो क्या हम हैं तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो

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