सरवर उस्मानी
ग़ज़ल 2
अशआर 1
आते जाते मौसमों का सिलसिला बाक़ी रहे
रोज़ हम मिलते रहें और फ़ासला बाक़ी रहे
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere