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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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शाद अज़ीमाबादी

1846 - 1927 | पटना, भारत

अग्रणी पूर्व-आधुनिक शायरों में विख्यात।

अग्रणी पूर्व-आधुनिक शायरों में विख्यात।

शाद अज़ीमाबादी के ऑडियो

ग़ज़ल

ऐ बुत जफ़ा से अपनी लिया कर वफ़ा का काम

फ़सीह अकमल

कुछ कहे जाता था ग़र्क़ अपने ही अफ़्साने में था

फ़सीह अकमल

ग़म-ए-फ़िराक़ मय ओ जाम का ख़याल आया

फ़सीह अकमल

ढूँडोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने के नहीं नायाब हैं हम

फ़सीह अकमल

तमाम उम्र नमक-ख़्वार थे ज़मीं के हम

फ़सीह अकमल

था अजल का मैं अजल का हो गया

फ़सीह अकमल

न जाँ-बाज़ों का मजमा था न मुश्ताक़ों का मेला था

फ़सीह अकमल

ये रात भयानक हिज्र की है काटेंगे बड़े आलाम से हम

फ़सीह अकमल

हज़ार हैफ़ छुटा साथ हम-नशीनों का

फ़सीह अकमल

हरगिज़ कभी किसी से न रखना दिला ग़रज़

फ़सीह अकमल

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