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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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शफ़ीक़ कोटी

1903 - 1976

शफ़ीक़ कोटी

अशआर 1

कोई ताज़ा सितम ईजाद करना है उन्हें शायद

तसल्ली आज वो क्यूँ दे रहे हैं अपने बिस्मिल को

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