शहाब अशरफ़ के शेर
उतनी ही निगाहों की मिरी प्यास बढ़ी है
जितनी कि तुझे देख के तस्कीन हुई है
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ख़ून ये जाता रगों से फूट कर
रो लिए तो दिल ज़रा हल्का हुआ
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