शाहिद जमील के शेर
ज़लज़ले का था सफ़र जिस में की मस्ती हम ने
ख़ुश्क चट्टानों पे दौड़ा दी है कश्ती हम ने
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere