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शहरयार

1936 - 2012 | अलीगढ़, भारत

अग्रणी आधुनिक उर्दू शायरों में शामिल। फ़िल्म गीतकार , ' फ़िल्म उमराव जान ' , के गीतों के लिए प्रसिद्ध। भारतीय ज्ञान पीठ एवार्ड से सम्मानित

अग्रणी आधुनिक उर्दू शायरों में शामिल। फ़िल्म गीतकार , ' फ़िल्म उमराव जान ' , के गीतों के लिए प्रसिद्ध। भारतीय ज्ञान पीठ एवार्ड से सम्मानित

शहरयार

ग़ज़ल 89

नज़्म 56

अशआर 105

शदीद प्यास थी फिर भी छुआ पानी को

मैं देखता रहा दरिया तिरी रवानी को

जहाँ में होने को दोस्त यूँ तो सब होगा

तिरे लबों पे मिरे लब हों ऐसा कब होगा

सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का

यही तो वक़्त है सूरज तिरे निकलने का

जुस्तुजू जिस की थी उस को तो पाया हम ने

इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने

शिकवा कोई दरिया की रवानी से नहीं है

रिश्ता ही मिरी प्यास का पानी से नहीं है

दोहा 1

टूटी फूटी कश्तियाँ दरिया में गिर्दाब

मेरे मरने के लिए ये लम्हे नायाब

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पुस्तकें 99

चित्र शायरी 26

वीडियो 11

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
Shahryar reading his poetry

शहरयार

ज़िंदगी जैसी तवक़्क़ो' थी नहीं कुछ कम है

शहरयार

ऑडियो 25

ऐसे हिज्र के मौसम कब कब आते हैं

दिल में रखता है न पलकों पे बिठाता है मुझे

अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र गया यारो

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