शम्सी मीनाई
ग़ज़ल 7
नज़्म 2
अशआर 2
ग़म दिए हैं हयात ने हम को
ग़म ने हम से हयात पाई है
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दिल की हालत अगर नहीं बदली
एहतियात-ए-नज़र से क्या होगा
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