शौकत सिद्दीक़ी की कहानियाँ
तीसरा आदमी
दोनों ट्रक, सुनसान सड़क पर तेज़ी से गुज़रते रहे! पितंबर रोड, मशरिक़ की तरफ़ मुड़ते ही एक दम नशीब में चली गई है और झुके हुए टीलों के दरमियान किसी ज़ख़्मी परिंदे की तरह हांपती हुई मालूम होती है। रात अब गहरी हो चुकी है और आग़ाज़-ए-सरमा की बचरी हुई हवाएँ चल