सिद्दीक़ अहमद बेनज़ीर के शेर
वही अब जान के दुश्मन बने हैं
बिगाड़ी सब से जिन की दोस्ती में
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कहे कोई किस से सताना तुम्हारा
ख़ुदाई तुम्हारी ज़माना तुम्हारा
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जिस ने इक बार भी सूरत न तुम्हारी देखी
कोई इस आँख का होता है शुमार आँखों में
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