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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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सुहा मुजद्ददी

1892 - 1947 | भोपाल, भारत

सुहा मुजद्ददी

पुस्तकें 1

 

ऑडियो 5

इसी आशिक़ी में पैहम हुई ख़ानुमाँ-ख़राबी

उठिए तो कहाँ जाइए जो कुछ है यहीं है

ख़राब-ए-दीद को यूँ ही ख़राब रहने दे

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