सुहा मुजद्ददी
ग़ज़ल 6
अशआर 1
होता है मिरे दिल में हसीनों का गुज़र भी
इक अंजुमन-ए-नाज़ है अल्लाह का घर भी
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere