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सुल्तान अख़्तर

1940 - 2021 | पटना, भारत

अग्रणी आधुनिक शायरों में विख्यात।

अग्रणी आधुनिक शायरों में विख्यात।

सुल्तान अख़्तर के ऑडियो

ग़ज़ल

अपनी तहज़ीब की दीवार सँभाले हुए हैं

सुल्तान अख़्तर

काम आती नहीं अब कोई तदबीर हमारी

सुल्तान अख़्तर

किसी के वास्ते जीता है अब न मरता है

नोमान शौक़

ख़्वाब आँखों से चुने नींद को वीरान किया

सुल्तान अख़्तर

ख़ाक उड़ती है ख़रीदार कहाँ खो गए हैं

सुल्तान अख़्तर

ख़ाना-बर्बाद हुए बे-दर-ओ-दीवार रहे

सुल्तान अख़्तर

छीन ले क़ुव्वत बीनाई ख़ुदाया मुझ से

सुल्तान अख़्तर

झूट रौशन है कि सच्चाई नहीं जानते हैं

नोमान शौक़

फ़ुर्सत में रहा करते हैं फ़ुर्सत से ज़्यादा

नोमान शौक़

मैं लड़खड़ाया तो मुझ को गले लगाने लगे

सुल्तान अख़्तर

मुसीबत में भी ग़ैरत-आश्ना ख़ामोश रहती है

सुल्तान अख़्तर

मिरे चारों तरफ़ ये साज़िश-ए-तस्ख़ीर कैसी है

नोमान शौक़

मिरी क़दीम रिवायत को आज़माने लगे

सुल्तान अख़्तर

ये जो हम अतलस ओ किम-ख़्वाब लिए फिरते हैं

सुल्तान अख़्तर

रक़्स करता है ब-अंदाज़-ए-जुनूँ दौड़ता है

सुल्तान अख़्तर

रक़्स-ए-ताऊस-ए-तमन्ना नहीं होने वाला

सुल्तान अख़्तर

सरसब्ज़ मौसमों का असर ले गया कोई

सुल्तान अख़्तर

सिलसिला मेरे सफ़र का कभी टूटा ही नहीं

सुल्तान अख़्तर

हम मुतमइन हैं उस की रज़ा के बग़ैर भी

सुल्तान अख़्तर

हरीफ़-ए-वक़्त हूँ सब से जुदा है राह मिरी

सुल्तान अख़्तर

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