अगर दोबारा बनी ये दुनिया
तो पहले तेरी गली बनेगी
नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करनेवाली शायरी की दुनिया में स्वप्निल तिवारी विश्वसनीय भी हैं और लोकप्रिय भी। उन्होंने अपने आधुनिक रंग, अनूठी शैली से उर्दू शायरी में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। उनकी पैदाइश 6 अक्तूबर 1984 को ग़ाज़ीपुर, उतर प्रदेश में हुई।
फ़िलहाल आप मुंबई में रहते हैं और फ़िल्मी दुनिया से सम्बद्ध हैं और शायर के साथ साथ स्क्रिप्ट राईटर भी हैं। आपकी शायरी आधुनिकता का स्पष्ट प्रतिबिंब है। आपकी काव्य विशेषताओं में आधुनिक शब्दों का इस्तेमाल और ठहराव है। अपनी ग़ज़लों में नए विषयों को बहुत ख़ूबसूरती और नफ़ासत के साथ कलमबंद करते हैं, शब्दों का चित्रण या यूं कहा जाये कि चित्रांकन इस तरह करते हैं कि अशआर पढ़ते वक़्त पूरा परिदृश्य हमारी आँखों के सामने आ जाता है। स्वप्निल तिवारी का अंतर्ज्ञान विचारों की जिन वादियों से गुज़रता है वहां का चित्रांकन कर लेता है और फिर उन विचारों को हू-ब-हू उन्हें शब्दों की शक्ल में ढाल देता है। आज के दौर के नौजवान शायरों में लफ़्ज़ों को बरतने का ऐसा सलीक़ा कम ही लोगों के यहां देखने को मिलता है। स्वप्निल तिवारी का पहला काव्य संग्रह “चांद डिनर पर बैठा है” प्रकाशित हो चुका है जिसको अदबी हलक़ों में काफ़ी सराहा गया है। उनका दूसरा काव्य संग्रह “ज़िंदगी इक उदास लड़की है” शीघ्र ही प्रकाशित होने वाला है।