सय्यद अारिफ़
ग़ज़ल 21
अशआर 1
क्या मौसमों के टूटते रिश्तों का ख़ौफ़ है
शीशे सजा लिए हैं सभी ने दुकान पर
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere