सय्यद आज़म हुसैन आज़म
अशआर 1
सारा आलम हमा-तन-गोश हुआ जाता है
साज़-ए-हस्ती है कि ख़ामोश हुआ जाता है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere