aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
हमें तो याद नहीं कोई लम्हा-ए-इशरत
कभी तुम्हीं ने किसी दिन हँसा दिया होगा
दिल की हर बात कह गए आँसू
गिर के आँखों से रह गए आँसू
देख कर काली घटा अहल-ए-क़फ़स
और क्या करते तड़प कर रह गए
तर्क-ए-उल्फ़त से मोहब्बत का लिखा मिट न सका
वही अफ़्सुर्दगी-ए-शाम-ओ-सहर आज भी है
फिरती है तो फिर जाए बदलती है तो बदले
दुनिया की नज़र है मिरी क़िस्मत तो नहीं है
Salik Lucknowii
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