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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Tahzeeb Hafi's Photo'

युवा पीढ़ी के प्रतिनिधि शायर, जो अपने मुन्फ़रिद अंदाज़ की शाइरी के लिए जाने जाते हैं

युवा पीढ़ी के प्रतिनिधि शायर, जो अपने मुन्फ़रिद अंदाज़ की शाइरी के लिए जाने जाते हैं

तहज़ीब हाफ़ी

ग़ज़ल 40

नज़्म 8

अशआर 23

मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ

पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे

तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया

इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया

तुझ को पाने में मसअला ये है

तुझ को खोने के वसवसे रहेंगे

अपनी मस्ती में बहता दरिया हूँ

मैं किनारा भी हूँ भँवर भी हूँ

ये एक बात समझने में रात हो गई है

मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है

क़ितआ 1

 

वीडियो 50

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी

At a Hyderabad mushaira

तहज़ीब हाफ़ी

Reciting his own poetry

तहज़ीब हाफ़ी

Sham e Ghazal Chowk Qureshi Muzaffargarh

तहज़ीब हाफ़ी

क़दम रखता है जब रस्तों पे यार आहिस्ता आहिस्ता

तहज़ीब हाफ़ी

किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है

तहज़ीब हाफ़ी

ज़ख़्मों ने मुझ में दरवाज़े खोले हैं

तहज़ीब हाफ़ी

तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया

तहज़ीब हाफ़ी

दिल किसी सम्त किसी सम्त क़दम जाता है

तहज़ीब हाफ़ी

नज़्म

जब वो इस दुनिया के शोर और ख़ामोशी से तहज़ीब हाफ़ी

नज़्म

तिरे पूरे बदन पर इक मुक़द्दस आग का पहरा है तहज़ीब हाफ़ी

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा

तहज़ीब हाफ़ी

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा

तहज़ीब हाफ़ी

बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता

तहज़ीब हाफ़ी

मैं ने ये कब कहा है कि वो मुझ को तन्हा नहीं छोड़ता

तहज़ीब हाफ़ी

ये एक बात समझने में रात हो गई है

तहज़ीब हाफ़ी

इक तिरा हिज्र दाइमी है मुझे

तहज़ीब हाफ़ी

सहरा से आने वाली हवाओं में रेत है

तहज़ीब हाफ़ी

ऑडियो 3

तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा

ये एक बात समझने में रात हो गई है

Recitation

 

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