मुहम्मद अली ताज 1924 को भोपाल में पैदा हुए.मामूली सी शिक्षा प्राप्त की और जीने के मसाइल में फंस गये. छोटीछोटी नौकरियों कीं, भोपाल की गलियों में तांगा खिंचा और इस तरह अपनी आर्थिक ज़रुरतें पूरी करते रहे. ताज की ज़िन्दगी में कभी आर्थिक सम्पन्नता नहीँ आ सकी. वह फ़िल्मी दुनिया में भी गये और कई कामयाब गीत लिखे लेकिन यहाँ हद से बढ़ी हुई दुनियादारी और असभ्य रवय्यों से खिन्न हो कर वापस लौट आये. ताज की शाइरी में उनकी ज़िन्दगी के ये निजी अनुभव बहुत खूबसूरती से अभिव्यक्त हुए हैं. उनकी पूरी शाइरी एक तरह से दुनिया और उसके मा’मलात व मसाइल का एक दुखद विवरण है जो बुनियादी सच्चाइयों से परिचय भी कराता है और एक हौसला भी देता है. 12 अप्रैल 1978 को ताज का देहांत हुआ.
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