तरुणा मिश्रा
ग़ज़ल 10
अशआर 1
आज फिर चाय बनाते हुए वो याद आया
आज फिर चाय में पत्ती नहीं डाली मैं ने
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere