तासीर सिद्दीक़ी के शेर
लब से सुनाऊँ हाल क्या दिल का मिरे हबीब
लब का ये मसअला है कि लब मुस्कुराते हैं
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अच्छे हैं फ़ासले के ये तारे सजाते हैं
जितना क़रीब जाओ नज़र दाग़ आते हैं
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