तस्लीम अहमद तसव्वुर
ग़ज़ल 1
अशआर 1
कुछ दिन से अजब बे-कली घेरे है तसव्वुर
कुछ दिन से मुझे अपना ही घर घर नहीं लगता
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere