Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Taslima Nasrin's Photo'

तसलीमा नसरीन

1962 | भारत

बांग्ला भाषा की मुखर कवि, कथा लेखक एवं नारीवादी कार्यकर्ता

बांग्ला भाषा की मुखर कवि, कथा लेखक एवं नारीवादी कार्यकर्ता

तसलीमा नसरीन का परिचय

जन्म : 25 Aug 1962

तस्लीमा नसरीन (जन्म: 25 अगस्त 1962) बांग्ला लेखिका एवं भूतपूर्व चिकित्सक हैं जो 1994 से बांग्लादेश से निर्वासित हैं। 1970 के दशक में एक कवि के रूप में उभरीं तस्लीमा 1990 के दशक के आरम्भ में अत्यन्त प्रसिद्ध हो गयीं। वे अपने नारीवादी विचारों से युक्त लेखों तथा उपन्यासों एवं इस्लाम एवं अन्य नारीद्वेषी मज़हबों की आलोचना के लिये जानी जाती हैं। उन्होंने 1990 के दशक की शुरुआत में अपने निबंधों और उपन्यासों के कारण वैश्विक ध्यान प्राप्त किया, जो नारीवादी विचारों और आलोचनाओं के साथ था कि वह इस्लाम के सभी ग़लत धर्मों के रूप में क्या करती हैं। वह प्रकाशन, व्याख्यान और प्रचार द्वारा विचारों और मानवाधिकारों की आज़ादी की वकालत करती है।
तस्लीमा का जन्म प्रचलित रूप से 25 अगस्त 1962 को माना जाता है, परन्तु वास्तव में उनका जन्म 5 सितंबर 1960 ई० (सोमवार) को तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के मयमनसिंह शहर में हुआ था। उन्होंने मयमनसिंह मेडिकल कॉलेज से 1986 में चिकित्सा स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद सरकारी डॉक्टर के रूप में कार्य आरम्भ किया जिस पर वे 1994 तक थीं। जब वह स्कूल में थी तभी से कविताएँ लिखना आरम्भ कर दिया था।
बांग्लादेश में उन पर जारी फ़तवे के कारण आजकल वे कोलकाता में निर्वासित जीवन जी रही हैं। हालांकि कोलकाता में मुसलमानों के विरोध के बाद उन्हें कुछ समय के लिये दिल्ली और उसके बाद फिर स्वीडन में भी समय बिताना पड़ा लेकिन इसके बाद जनवरी 2010  में वे भारत लौट आईं। उन्होंने भारत में स्थाई नागरिकता के लिये आवेदन किया है लेकिन भारत सरकार की ओर से उस पर अब तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। यूरोप और अमेरिका में एक दशक से भी अधिक समय रहने के बाद, तस्लीमा 2005 में भारत चले गईं, लेकिन 2008 में उन्हें देश से निकाल दिया गया, हालांकि वह दिल्ली ही में रह रही हैं। उन्हें स्वीडन की नागरिकता मिली है।
स्त्री के स्वाभिमान और अधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए तस्लीमा नसरीन ने बहुत कुछ खोया। अपना भरापूरा परिवार, दाम्पत्य, नौकरी सब दाँव पर लगा दिया। उनकी पराकाष्ठा थी देश निकाला।
एक समय तस्लीमा नसरीन को रियलिटी शो “बिग बॉस-8” में भाग लेने के लिए कलर्स (टीवी चैनल) की तरफ़ से प्रस्ताव दिया गया है। तस्लीमा ने इस शो में भाग लेने से मना कर दिया।
उनके उपन्यासों में लज्जा ‘अपरपक्ष’ (उच्चारण:ओपोरपोक्ख), निमंत्रण (उच्चारण:निमोन्त्रोन), फेरा, बेशरम इत्यादि हैं। आत्मकथा कई खंडों में मेरे बचपन के दिन (बांग्ला:आमार मेयेबेला), उत्ताल हवा, द्विखंडित (बांग्ला उच्चारण:द्विखंडितो), वे अंधेरे दिन (बांग्ला उच्चारण: सेई सोब अंधोकार), मुझे घर ले चलो, नहीं, कहीं कुछ भी नहीं, निर्वासन आदि प्रकाशित हो चुकी हैं। कविता-संग्रहों में निर्बासितो बाहिरे ओन्तोरे, निर्बासितो नारीर कोबिता, खाली खाली लागे, बन्दिनी (बांग्ला उच्चारण:बोन्दिनी) आदि हैं। निबंध-संग्रहों में नष्ट लड़की नष्ट गद्य (बांग्ला:नोस्टो मेयेर नोस्टो गोद्दो), छोटे-छोटे दुःख (छोटो च्होटो दुखो कोथा), औरत का कोई देश नहीं (नारीर कोनो देश नेई)।
अपने उदार तथा स्वतंत्र विचारों के लिये तस्लीमा को देश-विदेश में सैकड़ों पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान किये गये हैं। इनमें से कुछ ये हैं-
आनन्द साहित्य पुरस्कार, 1992 एवं 2000
नाट्यसभा पुरस्कार, बांग्लादेश, 1992
यूरोपियन पार्लियामेंट द्वारा विचार स्वातंत्र्य के लिये दिया जाने वाला शखारोव पुरस्कार, 1994
फ़्रांस सरकार द्वारा प्रदत्त मानवाधिकार पुरस्कार, 1994
फ़्रांस का ‘एडिक्ट ऑफ़ नान्तेस’ पुरस्कार, 1994
स्वीडिश इंटरनेशनल पेन द्वारा प्रदत्त कुर्त टुकोलस्की पुरस्कार, 1994
संयुक्त राष्ट्र का मानवाधिकार के लिये हेलमैन-ह्यामेट ग्रान्ट सम्मान, 1994
'Emperor Has No Clothes Award', Freedom From Religion Foundation, USA, 2015

संबंधित टैग

Recitation

बोलिए