तौसीफ़ तबस्सुम
ग़ज़ल 20
नज़्म 1
अशआर 10
शौक़ कहता है कि हर जिस्म को सज्दा कीजे
आँख कहती है कि तू ने अभी देखा क्या है
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दिल की बाज़ी हार के रोए हो तो ये भी सुन रक्खो
और अभी तुम प्यार करोगे और अभी पछताओगे
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अच्छा है कि सिर्फ़ इश्क़ कीजे
ये उम्र तो यूँ भी राएगाँ है
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देखने वाली अगर आँख को पहचान सकें
रंग ख़ुद पर्दा-ए-तस्वीर से बाहर हो जाएँ
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