हिंदुस्तान के प्रसिद्ध राष्ट्रकवि डॉ. उर्मिलेश का 6 जुलाई 1951 को बदायूँ के एक क़स्बे इस्लामनगर में जन्म हुआ। उनके पिता का नाम पंडित भूपराम शर्मा "भूप" था जो स्वयं भी एक कवि थे। डॉ. उर्मिलेश ने हिंदी में एम.ए किया और उसके पश्चात पी.एच. डी. की डिग्री प्राप्त की। बदायूँ के नेहरू मेमोरियल शिवनारायण दास स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे। उनके कई गीत संग्रह, ग़ज़ल संग्रह, दोहा संग्रह आदि प्रकाशित हुये, जिनमें धुंआ चीरते हुए(ग़ज़ल संग्रह), आईने उदास हैं(ग़ज़ल-संग्रह), सोत नदी बहती है(गीत संग्रह), घर बुनते अक्षर(गीत-मुक्तक संग्रह), चिरंजीव हैं हम(राष्ट्रीय गीत संग्रह), बिम्ब कुछ उभरते हैं(नवगीत संग्रह), गंधों की जागीर(दोहा संग्रह) आदि सम्मिलित हैं। इसके साथ ही उन्होंने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया था। "सोत नदी बहती है" पर उन्हें उत्तर प्रदेश संस्थान द्वारा पुरस्कृत भी किया गया। उनकी "वन्देमातरम" शीर्षक से विनय कैसेट्स से कैसेट प्रसारित हुई और "ज़िन्दगी से जंग" शीर्षक से एक ऑडियो कैसेट भी प्रसारित हुई। वे बदायूँ क्लब बदायूँ के सचिव भी रहे।
उनके निर्देशन पर 18 शोध छात्रों ने पी.एच. डी. की डिग्री प्राप्त की। उन्हें दो बार अमेरिका से काव्य पाठ का निमंत्रण भी प्राप्त हुआ। दूरदर्शन और विविध चैनलों से भी उनकी रचनाओं का प्रसारण हुआ। उन्हें उपासना पुरस्कार, लोक नायक पुरस्कार, भारती पुरस्कार, दिनकर साहित्य पुरस्कार आदि पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें 1991 में राष्ट्र कवि, कवि-भूषण, आचार्य आदि उपाधियों से अलंकृत किया गया। 16 मई 2005 को बदायूँ में ही उनका निधन हो गया।