विरल देसाई
ग़ज़ल 7
अशआर 1
उदासी कर रही है रक़्स-ए-हिजरत
हमेशा के लिए वो जा रहा है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere