वहीद इलाहाबादी का परिचय
अब भी आ जाते तो रह जाती हमारी ज़िंदगी
बाद मरने के अगर ख़त का जवाब आया तो क्या
वहीद इलाहाबादी, मौलवी वहीदुद्दीन (1829-1892) मशहूर शाइ’र ‘अकबर’ इलाहाबादी के उस्ताद थे। कहा जाता है कि उनके घर में आग लगी तो उन्हें अपना दीवान याद आया और उसे बचाने के लिए अपने कमरे में गए, लेकिन बाहर नहीं निकल सके। बा’द में उनकी लाश इस तरह मिली कि दीवान उनके हाथ में था।