वजीह सानी के शेर
कोई दवा भी नहीं है यही तो रोना है
सद एहतियात कि फैला हुआ क्रोना है
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टैग : सोशल डिस्टेन्सिंग शायरी
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'सानी' फ़क़त तुम्हारा लिखा जिन ख़ुतूत पर
वो तो कभी के ज़ाएद-उल-मीआ'द हो गए
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