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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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वली उज़लत

1692 - 1775 | हैदराबाद, भारत

उर्दू शायरी को परम्परा निर्माण करने वाले अग्रणी शायरों में शामिल

उर्दू शायरी को परम्परा निर्माण करने वाले अग्रणी शायरों में शामिल

वली उज़लत के ऑडियो

ग़ज़ल

आज दिल बे-क़रार है मेरा

फ़सीह अकमल

ख़त ने आ कर की है शायद रहम फ़रमाने की अर्ज़

फ़सीह अकमल

ग़ैर-ए-आह-ए-सर्द नहीं दाग़ों के जाने का इलाज

फ़सीह अकमल

जूँ गुल अज़-बस-कि जुनूँ है मिरा सामान के सात

फ़सीह अकमल

न शोख़ियों से करे हैं वो चश्म-ए-गुल-गूँ रक़्स

फ़सीह अकमल

बहार आई ब-तंग आया दिल-ए-वहशत-पनाह अपना

फ़सीह अकमल

माह-ए-कामिल हो मुक़ाबिल यार के रू से चे-ख़ुश

फ़सीह अकमल

है उस की ज़ुल्फ़ से नित पंजा-ए-अदू गुस्ताख़

फ़सीह अकमल

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