ज़हीर रहमती
ग़ज़ल 9
अशआर 10
जिस की कुछ ताबीर न हो
ख़्वाब उसी को कहते हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
सदियों में कोई एक मोहब्बत होती है
बाक़ी तो सब खेल तमाशा होता है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ज़माने भर को है उम्मीद उसी से
वो ना-उम्मीद ऐसा कर रहा है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
और एहसास-ए-जिहालत बढ़ गया
किस क़दर पढ़ लिख के जाहिल हो गए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ख़ुशी से अपना घर आबाद कर के
बहुत रोएँगे तुम को याद कर के
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए