ज़हरा क़रार का सम्बंध मुंबई से है। वो 9 फरवरी1984 को पैदा हुईं। आपने मुंबई यूनीवर्सिटी से उर्दू में एम.ए और बी.एड की उपाधियां प्राप्त की हैं। फ़िलहाल आप वहीं पठन-पाठन के पेशे से जुड़ी हुई हैं।
जहां तक उनकी शायरी का सम्बंध है उन्होंने 2013 में ग़ज़ल कहना शुरू किया। आप आधुनिक समय में नारी के अस्तित्व से जुड़ी पुरानी और नई भावनाओं और संवेदनाओं को बहुत ही हुनरमंदी से शे’री पैकर में ढालती हैं। जहां आपकी शैली नई और अनोखी है वहीं आपने अपनी ग़ज़लों में नए विषयों को भी बड़ी ख़ूबसूरती से कलमबंद किए हैं। उस पर कमाल ये है कि उनके द्वारा लिखे गए ये लेख औरत की बदलती हुई ज़िंदगी की नुमाइंदगी करते हैं। मर्दों और औरतों की मनोदशा के अनगिनत पहलू ज़हरा क़रार की शायरी में नज़र आते हैं। उनके पसंदीदा शायरों में मीर तक़ी मीर, शकेब जलाली, सर्वत हुसैन और इर्फ़ान सिद्दीक़ी वग़ैरा शामिल हैं।