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ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़

1817 - 1852 | दिल्ली, भारत

अहम क्लासिकी शायर, ग़ालिब की बीवी के भांजे, जिन्हें ग़ालिब ने अपने सात बच्चों के असमय निधन के बाद बेटा बना लिया था. ग़ालिब आरिफ़ की शायरी के प्रशंसकों में भी शामिल थे

अहम क्लासिकी शायर, ग़ालिब की बीवी के भांजे, जिन्हें ग़ालिब ने अपने सात बच्चों के असमय निधन के बाद बेटा बना लिया था. ग़ालिब आरिफ़ की शायरी के प्रशंसकों में भी शामिल थे

ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़

ग़ज़ल 42

अशआर 16

आप को ख़ून के आँसू ही रुलाना होगा

हाल-ए-दिल कहने को हम अपना अगर बैठ गए

तुम अपनी ज़ुल्फ़ से पूछो मिरी परेशानी

कि हाल उस को है मालूम हू-ब-हू मेरा

आए सामने मेरे अगर नहीं आता

मुझे तो उस के सिवा कुछ नज़र नहीं आता

तेरे कहने से मैं अब लाऊँ कहाँ से नासेह

सब्र जब इस दिल-ए-मुज़्तर को ख़ुदा ने दिया

कर दिया तीरों से छलनी मुझे सारा लेकिन

ख़ून होने के लिए उस ने जिगर छोड़ दिया

"दिल्ली" के और शायर

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