ज़िया अज़ीमाबादी के शेर
इक टीस जिगर में उठती है इक दर्द सा दिल में होता है
हम रात को रोया करते हैं जब सारा आलम सोता है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere