Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
noImage

ज़ोया शेख़

1992 | लखनऊ, भारत

ज़ोया शेख़

ग़ज़ल 5

 

अशआर 7

ख़ामुशी का सबब नहीं कुछ भी

मुझ को बस गुफ़्तुगू से नफ़रत है

  • शेयर कीजिए

वो मिरी सादगी पे मरता है

मुझ को गहनों की क्या ज़रूरत है

  • शेयर कीजिए

सुनो आओ नया इक ज़ख़्म बख़्शो

तुम्हारा हिज्र बूढ़ा हो गया है

  • शेयर कीजिए

ख़ुद्दार ख़ुद-परस्त हैं ज़िद्दी बला के हैं

हम जो गए तो लौट कर वापस आएँगे

  • शेयर कीजिए

फिर यूँ हुआ कि ज़िंदगी इक बोझ बन गई

इक शख़्स मेरे हाथ से यक-लख़्त खो गया

  • शेयर कीजिए

"लखनऊ" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए